मुरली बजाई श्याम पूर्णिमा की रात में,
मुरली पुकारे गोपी गोपी नाम सुना तान रे,
कोई गोपी काम कर्त शृंगार रे,
भोजन बनावे कोई पिलावे वर्तार रे,
गाये धोते धोते गोपी बुल गई काम रे,
मुरली पुकारे गोपी गोपी नाम सुना तान रे,
छोड़ घर छोड़ काम छोड़ पति प्यार रे,
मुरली पुकारे देखो तेरा मेरा नाम रे,
समज न पाया कोई गोपी कृष्ण प्यार रे,
मुरली पुकारे गोपी गोपी नाम सुना तान रे,
दौड़ी दौड़ी आई गोपी लोक लाज त्याग रे,
मधुवन में देख मोहन जागे अपने भाग रे ,
करके स्वागत मोहन पूछी ऐसी बात रे,
मुरली पुकारे गोपी गोपी नाम सुना तान रे,
आई गोपी मधुवन में तू ऐसा क्या काम रे,
माता पिता पति त्यागे ऐसी क्या बात रे,
बोले गोपी नन्द तनुज से जानू मन की बात रे,
मुरली पुकारे गोपी गोपी नाम सुना तान रे,