बरसाने वाली ऐसी रूठी

राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे,
बरसाने वाली ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे……

चंदन की पटरी विशाखा लाई,
रेशम के डोरी ललिता लाई,
मटक कर ऐसी बैठी डोर डाल ना डालन दे,
हो राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे………

हंस कर बोली सखी विशाखा,
बिन मोहन झुला नही भाता,
झटक कर ऐसी बैठी राधे बोले ना बोलन दे,
हो राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे………

इतने में आ गए बनवारी,
क्यों रूठी हो राधा प्यारी,
पैर पटक कर ऐसी बैठी पट खोले ना खोलन दे,
हो राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे………

पड़ पैयां घनश्याम मनाए,
मंद मंद राधे मुस्काए,
लिपट कर ऐसी रोइ चुप होवे ना होवन दे,
हो राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे………

राधाश्याम की प्रीत पुरानी,
सब जाने यह प्रेम कहानी,
जो ध्यावे सो पावे मन भटके ना भटकन दे,
हो राधा रानी ऐसी रूठी झूला झूले ना झूलन दे……
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