जद नाल तू मेरे साई फिर क्यों गबरावा मैं,
सुख हॉवे या दुःख हॉवे तेरा शुकर मनावा मैं,
जद नाल तू मेरे साई फिर क्यों गबरावा मैं,
अँधेरे च जी वे चरागा दी लोह वे,
उजाले दे विच तेरी खुश्बू वे,
पग पग ते अंग संग तेनु,दिन राति पावा मैं,
सुख हॉवे या दुःख हॉवे तेरा शुकर मनावा मैं,
जद नाल तू मेरे साई फिर क्यों गबरावा मैं,
मदत गार मेरे पराये भी बन गए कही अजनबी भी सत्कार करदे,
इक तेरे कारण दाता चंगा अखवावा मैं,
सुख हॉवे या दुःख हॉवे तेरा शुकर मनावा मैं,
बदिया बुरियाँ तो बचाया हमेशा,
तूने किदा रास्ता दिखाया हमेशा,
कुर्बान मैं तेरे सदके बलिहारी जावा मैं,
सुख हॉवे या दुःख हॉवे तेरा शुकर मनावा मैं,
भवर जिंदगी दे निकल जांदे मैनु,
थपड़े दुखा दे कुचल जांदे मैनु,
पतवार तू फड़ लइ मेरी डूभ डूभ तर जावा मैं,
सुख हॉवे या दुःख हॉवे तेरा शुकर मनावा मैं,