मन में बाजी शेहनाई के फागन आया है,
फागन आया है फागन तो आया है,
कार्तिक सुधि की ग्यारस ज्यू ज्यू है बीते जाती,
चंग ध्मालो की गूंजे कानो मेरे है आती,
सब प्रेमी नाचे है संग श्याम भी नाचे है,
और मुख से भाजे है, फागन आया है,
टिका कटा लेते है खाटू नगरिया जाते,
पैदल मिले रिंग्स से श्याम निशान उठाते,
हम पैदल चलते है नाम श्याम का जपते है,
और हिवडे से कहते फागन तो आया है,
खाटू जो हम पौंचे दरबार में हम जाए,
अपने बाबा को हम होली का रंग लगाये,
हम निशान चडाते है वो किरपा वर्साते है हम मौज में गाते है,
फागन तो आया है
फागन की वो बारस जैसे ही निडे आती,
पलके बिह्गी केशव की नजरे नीर मये बहाती.
हम अक्श बहाते है तोरण द्वार पे आते है,.
रोते अधर ये कह देते,
फागन बीता रे