होली खेलन खाटू जायेगे

अब के फागुन में होली खेलन खाटू जायेगे,
चाहे कुछ भी हो जाए सँवारे हम न रुक पायंगे ,
अब के फागुन में होली खेलन खाटू जायेगे,

दिल में बेकरारी मन उड़ता उड़ता जाए,
करवट पे करवट बदलू न चैन गद्दी इक आये,
इक पल की अब देरी हम सेह ना पाएंगे,
अब के फागुन में होली खेलन खाटू जायेगे,

अब क्यों ऐसा लगता है के जैसा कोई बुलाये,
अंतर् मन है व्याकुल सा हिचकी पे हिचकी आये,
बाबा ने याद किया हम न रुक पाएंगे,
अब के फागुन में होली खेलन खाटू जायेगे,

जिसको पूछे वो कहता हम तो श्याम दीवाने,
बस झूमे हा झूमे है मस्ती में हो मस्ताने,
जो कदम उठे है योगी वो न रुक पाएंगे,
अब के फागुन में होली खेलन खाटू जायेगे,
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