नज़र ना आते क्यों ओ मेरे श्याम

कैसे बीते इतने दिन पूछो मेरे दिल से
समझाया इस को मैंने खुद ही  बड़ी मुश्किल से
एक बार देख लूँ आये दिल को आराम
नज़र ना आते क्यों ओ मेरे श्याम
मुझे तड़पाते क्यों ओ मेरे श्याम
हारता जा रहा सुबह शाम
नज़र ना आते क्यों ...............

मुझको ये मालूम है बाबा तुम भी तड़पते होंगे
होबे प्रेमी से मिलने को राहें तकते होंगे
बात गर है सही तो बुला लो खाटू धाम
नज़र ना आते क्यों ...............

हर ग्यारस पे ठाकुर मेरे एक ख़याल है आया
ऐसी गलती क्या कर दी जो हमको नहीं बुलाया
टूट जाऊं ना कहीं थाम लो मेरा हाथ
नज़र ना आते क्यों ...............

हमने सुना है बाबा तुम तो हो हारे के सहारे
नाव मेरी मंझधार सांवरे कर दो इसको किनारे
मेरे अपने भी कन्हैया आये ना मेरे काम
नज़र ना आते क्यों ...............
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