म्हारो मनडो न लागे जी

हो बाबा आवे थारी याद खाटू से आने के बाद म्हारो मनडो न लागे जी

खाटू नगरी को सांवरियां ऐसो रंग चडो है पेहले से भी ज्यदा थारा म्हारो प्रेम बड़े है,
ग्यारस की वा प्यारी रात आवे बार बार मने याद
म्हारो मनडो न लागे जी

थारी चोक्ठ पे सांवरियां सारी रात बिताई
एसी मस्ती मिली कही न जो खाटू में आई
मैं तो देख्या सो सो बार मोर छड़ी को चमत्कार
म्हारो मनडो न लागे जी

श्याम की ईशा एक है बाबा रोज ही मेलो लागे
बन के मोर यो छम छम नाचू बाबा तेरे आगे
म्हारी छोटी सी अरदास बाबा रखले तेरे पास
म्हारो मनडो न लागे जी

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