दुनिया में खाटू सा दरबार मिलेगा न,
मेरे श्याम धनि जैसा दातार मिलेगा न,
जो दर पर आता है ना खाली जाता है,
बिन मांगे इस दर से सब कुछ मिल जाता है,
इस के जैसा जग में भंडार मिलेगा न,
मेरे श्याम धनि जैसा दातार मिलेगा न,
हारे को जगाता है रोते को हसाता है,
दुभि हुई कश्ती को साहिल पर लाता है,
इस के जैसा जग में उपकार मिलेगा न,
मेरे श्याम धनि जैसा दातार मिलेगा न,
ये संकट हर्ता है ये मंगल करता है,
इस दर पे अनाड़ी का हर काम सम्भलता है,
इस के जैसा जग में अवतार मिलेगाना,
मेरे श्याम धनि जैसा दातार मिलेगा न,