पंख जो होते मैं उड़ जाती नन्द बाबा के द्वार,
हुलर हुलर मेरा जीवा रोवे भवे दूध की धार,
लाल मेरा रोता होगा वो भूखा सोता होगा ,
कैसी विद्याता ने लीला रचाई,
दूर हुए मुझसे कृष्ण कन्हाई
कोई तो बताओ मुझको दिखाओ कान्हा को इक बार,
हुलर हुलर मेरा जीवा रोवे भवे दूध की धार,
लाल मेरा रोता होगा वो भूखा सोता होगा ,
किस को सुनाऊ पीड़ा ये मन की
कोई न जाने हालत तन की
किसको सुनाऊ किस को बताओ मेरे दिल की पुकार,
हुलर हुलर मेरा जीवा रोवे भवे दूध की धार,
लाल मेरा रोता होगा वो भूखा सोता होगा ,
रोता है मन आँखे भर भर आई,
कौन होगी माँ जो लाल को रुलाये,
कोई तो बताओ मुझको मिलाओ करू मैं यत्न हजार,
हुलर हुलर मेरा जीवा रोवे भवे दूध की धार,
लाल मेरा रोता होगा वो भूखा सोता होगा ,
मेरे जिगर का टुकड़ा दूर जा वसा है,
मेरा तो मन माधव इस में फसा है,
माँ की ममता माँ ही जाने कया जाने संसार
हुलर हुलर मेरा जीवा रोवे भवे दूध की धार,
लाल मेरा रोता होगा वो भूखा सोता होगा ,