जब से सांवरिया से पहचान हो गई,
जिंगदी तब से खाटू वाले की गुलाम हो गई,
मेरे घर में कमी नहीं िब किसी बात की,
जब से मने चौकठ चूमी है श्याम की,
तब से उस की रेहमत की बरसात हो गई,
जिंगदी तब से खाटू वाले की गुलाम हो गई,
जब से रंग चढ़ा है खाटू धाम का,
कहने लगे दीवाना है ये तो श्याम का,
जब से निगाहें उस की मेहरबान हो गई,
जिंगदी तब से खाटू वाले की गुलाम हो गई,