खाटू वाले श्याम धनि जी मेरे घर भी आ जाना,
आज तुम्हारा कीर्तन है बस एक झलक दिखला जाना,
खाटू वाले श्याम धनि जी मेरे घर भी आ जाना,
पलके बिछाके मेरे नैना राह तुम्हारी तक ते है,
सावन बाधो जैसे झर झर आंसू बरसते रहते है,
तेरी इक झलक को बाबा मेरे नैन तरसते है,
हर पल हर शन झलक रहा है मेरे सबर का पैमाना,
आज तुम्हारा कीर्तन है बस एक झलक दिखला जाना,
खाटू वाले श्याम धनि जी मेरे घर भी आ जाना,
द्वार तुम्हारे कैसे आउ बन पता संयोग नहीं,
आजाओ नीले पे चढ़ के कह पाती मैं क्यों नहीं,
जन्म जन्म से मैं हु निर्धन मुझपर छपन भोग नहीं,
जैसा भी है रुखा सूखा उसका भोग लगा जाना ,
आज तुम्हारा कीर्तन है बस एक झलक दिखला जाना,
खाटू वाले श्याम धनि जी मेरे घर भी आ जाना,
मुझ दुखियाँ की विनती सुन लो,
बैठ कहा बेफिकरी से,
दर्शन देने इक रात को आओ खाटू नगरी से,
पल पल चन्दन शर्मा करती इन्तजार बेसब्री से,
कहे अनाडी अपने भक्त को ठीक नहीं तरसाना,
आज तुम्हारा कीर्तन है बस एक झलक दिखला जाना,
खाटू वाले श्याम धनि जी मेरे घर भी आ जाना,