बड़ी एह रात भागा वाली आई किरपा किती वैष्णो माई,
परिवार नु परिवार नु मैया दे सेवा दार नु वधाई है वधाई है वधाई,
चौंकी दी वधाई जागे दी वधाई,
भगता उते महरा वाली माँ ने मीह बरसाया,
कर्मा वाले लोग जिह्ना दे घर आई माहामाया,
जच रहे सारे नच रहे इक दूजे नु दस रहे,
पीले शेर उते देखो शेरावाली आई,वधाई है वधाई है वधाई,
किना सोहना टेंट है लगाया खुब है लगी रंगत,
टेक के मथा अपनी था ते बैठी साड़ी संगत,
ना डोल दे मुहो बोल दे माँ ताले सारे खोल दे,
ला के सिंगसन बैठी मेरी माई वधाई है वधाई है वधाई,