भागां वालेओ जी मत्था टेक लो,
नसीबां वालेओ जी मत्था टेक लो,
मेरी दाती दे चरणां च, शेरांवाली दे चरणां च,
तुसी आके मत्था टेक लवो,,,,,,
इक हत्थ है त्रिशूल मैया दे, एक हत्थ फुल्ल है सजदा,
लाल परांदा वी गल पाया, गोटा किनारी फबदा,
तुसी आके जलवा देख लवो,,,,,,
ऊँचे सिंघासन बैठ के माँ,सबका मुजरा ले,
जैसी जिसकी भावना माँ वैसा ही फल दे,
तुसी पल्ला अड्ड के देख लवो,,,,,
भरलो झोलियां, सारे भरलो झोलियां,
माँ भंडारे बैठी खोल के,भरलो झोलियां,
सारे जै माता दी बोल के,भरलो झोलियां,
दाती हो गयी दयाल है,भरलो झोलियां,
माँ को सबका ख्याल है,भरलो झोलियां,
भरलो झोलियां,,,,,,,,,,।
मोती सुखों के माँ बाँटती, भरलो झोलियां,
हीरे पत्थरों से छाँटती, भरलो झोलियां,
माँ औलाद वी है देती,भरलो झोलियां,
जो चाहे दात वी है देती, भरलो झोलियां,
भरलो झोलियां, भरलो झोलियां,,,,,,,,,,।
सच्चे दरबार आ के, भरलो झोलियां,
शीश चरणों पे झुका के, भरलो झोलियां,
बिनती भावना से कर के, भरलो झोलियां,
गंगा नाम वाली तर के, भरलो झोलियां,
भरलो झोलियां, भरलो झोलियां,,,,,,,,,,।
ये दरबार है वैष्णों माता का,
ये जग की भाग्य विधाता का,
मुँह मांगी मुरादें, मिलती हैं,
आशा की कलियां खिलती हैं,,
ये सच्चे सुख की सागर है,
यहाँ दया की ज्योत उजागर है,
यहां रोज़ सवाली, आते हैं,
मुँह मांगा फ़ल वो पाते हैं,,
मैया की दया जब होती है,
कंकर बन जाते मोती है,
धन निर्धन को माँ, देती है,
दुखियों के दुख हर लेती है,,
Pandit Dev Sharma
7589218797