तुम्हारी दया अम्बे माँ हो गई,
जागरण की रात शुरू हो गई,
संकट हमारे किरपा कर मिटा दो,
अमर प्रेम है तुम दर्श दे दिखा दो,
इन्तज़ार की इन्तहा हो गई, जागरण की,
तेरे द्वार से कोई खाली न जाये,
मुँह मांगी मुरादे तेरे दर से पाये,
मेरे लोए माँ क्यों देरी हो गयी ,,
दया कर विघ्न सब हरो अब हमारे,
हमारी शरण हाथ में है तुम्हारे,
कलो काल की जग में बू हो गई, जागरण की,,
तेरी किरपा से ये शुभ दिन मिला है,
नहीं तुझसे अब कोई भी गिला है,
खाली झोली अब मेरी भर गई,जागरण की,,,
मनाने को पहले लिए आरती हम,
खड़े आरती में सभी भारती हम,
दाती मेरे रूबरू हो गई, जागरण की रात,,
Pandit dev शर्मा
7589218797