जय कारे बोलते चलो भवन हमें जाना है माँ के,
मन में है धारणा हिमत ना हारना,
चलना है चलते रहो भवन हमें जाना है माँ के
मन में सिमर ते चलो आंबे माँ को,
पवन करो अपनी अपनी जुबा को,
माँ का जैकारा है,लाखो को तारा है कदमो को आगे रखो,
भवन हमें जाना है माँ के....
लम्बी से लम्बी है कठिन है चढ़ाई
माता ने त्रिपुता पे दुनिया वसाई,
माँ का आधार है आती बहार है,
चरणों में शीश धरो भवन हमें जाना है माँ के
योगी गुफा में है माँ का वसेरा,
भक्तो के मन का मिटाती अँधेरा,
सजदा दरबार है महिमा अपार है,
ईशान दीदार करो,
भवन हमें जाना है माँ के