दर्शन को तरसे नैना इक छवि दिखलाओ अब ,
संकट से सब जुज रहे है मोरछड़ी लेहराओ अब,
तेरे खाटू की ये गलियां सुनी नहीं सुहाती है,
हाथ लगा चौकठ को लुटे आंखे भर भर आती है,
बिना मिले जो लौट चले है उनसे मिले आओ अब,
उनसे मिलने आओ बाबा उनसे मिले आओ अब,
मोरछड़ी लेहराओ अब,
ये इतहास गवा खाटू का पहले ऐसा हुआ नहीं,
लखदातारी श्याम प्रभु ने दर्शन किसी को दिया नहीं,
कैसी उल्जी है गुथी श्याम इसे सुलजाओ अब,
मोरछड़ी लेहराओ अब,
बेचैनी है मन में सौरव बिन दर्शन जो लौट गए,
कैसे भाव है उन भगतो के बाबा तुम सो समज ही गए,
मिलुंगा मैं सब भगतो से ऐसा हुकम सुनावो अब तो,
मोरछड़ी लेहराओ अब,