राधे जी को सिणगार बैणी गूंथन बैठ्या माधो ।
तीनों लोकां रा भरतार ज्यांको देख्यो प्रेम अघाधो ॥
तरह तरह का फूल मंगाया,
बाल बाल में गूँथ सजाया ।
कांगसियो ले लट सुलझाई,पकड़ प्रीत सूं कांधो ॥ राधे...
फूलन हार फूलन का गहना
फूलन मांग भरी सुख देना ।
काजल रेख लगाकर नैना,श्याम करे अनुराधो ॥ राधे...
चमके चन्दा रूप लिलाटी,
जिस पर सुंदर पाड़ी पाटी ।
राधे कहे सिसक कर मोहन गाँठी धीरे बाँधो ॥ राधे...
दर्पण हाथ देर गिरधारी,
बोल्या सुन ब्रषभानु दुलारी ।
पूरण चन्द्रमुखी तू प्यारी और "सुधाकर" आधो ॥ राधे...