सुनो बात हे बजरंग बाला
किया क्यों गड़बड़ घोटाला
जो कहा नहीं था तुमसे
वो क्यों तुमने कर डाला
क्यों लंका नगरी जारी बताओ हे बलकारी
मन हूँ अंजनी का लाला झूठों से पड़ा मेरा पाला
लंका नगरी वालों ने बदनाम मुझे कर डाली
लंका मैंने ना जारी सुनो हे अवध बिहारी
आपकी आज्ञा पाकर खोज रहे जनक लली को
के सागर तट पर जाकर मिले सम्पाती बलि को
उसने यूँ बताया कुछ समझ ना आया
वो ले गया था एक नारी जो राम ही राम पुकारी
लंका मैंने ना जारी सुनो हे अवध बिहारी
पहुँच लंका नगरी में सुध माता की पा ली
भूख लगी तो फल खाये के आया गया जम्बू माली
वहां जो भी आया वो बच नहीं पाया
आई ब्रह्मपास की बारी बाँध ले गए दरबारी
लंका मैंने ना जारी सुनो हे अवध बिहारी
पूछ में आग लगी तो कूड़ा मैं महल अटारी
कैद खाने में उलटे लटके थे शनि बलकारी
जब बंधन खोले जय जय राम की बोले
ऐसी नज़र शनि ने मारी के जल गई लंका सारी
लंका मैंने ना जारी सुनो हे अवध बिहारी
शनिचर बजरंग पूजा वचन शनिदेव सुनाएँ
श्रवण हनु शनि भक्तों पे कभी न विपदा आये
जो जैसा करेगा वो वैसा भरेगा
आएगी सबकी बाजरी मान लो बात हमारी
लंका मैंने ना जारी सुनो हे अवध बिहारी