जब दिल तेरा घबड़ाये। दरबार चले आना
अपने जब ठुकराए। दरबार चले आना
तू क्या क्या करता है। सबकुछ ये देख रहा
हीरा सा जन्म मिला। इसे ब्यर्थ में फेंक रहा
जब वख्त सितम ढाये। दरबार चले आना
दिन रात यहां पगले। रहमत ही बरसती है
लेले तू मजा जिनका। अमृत ही बरसती है
जब कुछना नजर आए। दरबार चले आना
दुनिया जिसे ठुकराती। प्रभु सरन लगाते है
सुख शान्ति मिलती है। जो भजन को गाते है
प्यासा पागल गाये। दरबार चले आना
जब दिल तेरा घबड़ाये। दरबार चले आना
Hemkant jha प्यासा
हेमकांत झा प्यासा
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