आजा रे कान्हा आजा

आजा रे कान्हा आजा,हमरी नगरिया आजा
प्यासी इन अँखियों की प्यास बुझाजा,

त्रेता में आये थे तुम। द्वापर में आये थे तुम
भक्तों ने जबभी चाहा। दर्सन दिखाए थे तुम
कलियुग में भी हे मोहन। एकबार आजा,
आजा रे कान्हा--------

बिगड़ी बनाने वाले। दुखड़े मिटाने वाले
इतनी हंसी ये सारी। दुनियां बनाने वाले
मेरी भी उजड़ी हुई। दुनियां बसा जा,
आजा रे कान्हा---------

सबका सहारा है तू। आंखों का तारा है तू
कितना अकेला हु मैं। किया क्यू किनारा है तू
प्यासा की बिनती यही। आजा अबतो आजा
आजा रे कान्हा आजा---------

Hemkant jha pyasa
हेमकांत झा प्यासा
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