इक तेरे भरोसे मैं रहना चाहूं गिरधारी,
किरपा तेरी मिल जाए,
तेरे चरणों की बलिहारी,
इक तेरे भरोसे मैं रहना चाहूं गिरधारी.
ईक विनती करूं तुमसे,
अवगुण पे न ध्यान धरो,
मिट जाए वासना मेरी,
हृदय में प्रेम भरो,
नही क्लेश रहे मन में,
नहीं द्वेष रहे मन में,
किरपा तेरी मिल जाए.....
कभी मन के दरवाजे पे,
खुद ही तुम आया करो,
प्यासे को पानी की तरह,,
मुझको भी भाया करो,
प्राणों के भी प्राण हो,
भक्ति का वरदान दो,
किरपा तेरी मिल जाए.....
मेरी कामना है ये,
कामना कोई ना करूं ,
तेरा सब तुझको सौंप कर,
आनंद तेरा दरशन करूं,
ये दिल हो चुका है तेरा,
तू भी बन जा ना मेरा
किरपा तेरी मिल जाए.......
श्रधेय बलराम जी उदासी
बिलासपुर (C.G.)
098271-11399