तेरे विच तू नि मैं बोल्दी फिरदी लालचा दी पांड टोल दी
लड़ लग के जोगी दे लोकी तर गये बड़े,
तेनु मंगना नही आउंदा पौनाहारी की करे,
जे तू श्रधा न रखी दर औन दा की फयादा,
मैल मन चो न लाई फिर न्हाउन दा की फयदा
हक किसे दा न रखे पल्ले सब दे भरे,
तेनु मंगना नही आउंदा पौनाहारी की करे,
बीज किक्करा दे बोह के ठन्डी छाह भालदा,
ओहदे चरना दे विच किथे था भालदा ,
ओथे पेहला भी भगत बैठे खरे तो खरे,
तेनु मंगना नही आउंदा पौनाहारी की करे,
गल अन्द्रो न मुकी बाहरो नही मुक्नी
पौन्हारी दे बिना न किसे बात पूछनी,
ओहदे पिरती गुफा तो होई न भरे,
तेनु मंगना नही आउंदा पौनाहारी की करे,