गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे परले पार उतर जैगा

क्यों काया भटकावै माया जोड़ जोड़ धर जैगा
गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे परले पार उतर जैगा

१ मात पिता गुरु गौ की सेवा करले तन मन धन लाकै
  सेवा तै तेरा पार हो खेवा देख लिए मेवा खाकै
  धन चाहवै तो दान करया कर तीरथा के ऊप्पर जाकै
  पुत्तर चाहो करो संत की सेवा मोहमाया नै बिसराकै
  भूखे नै भोजन करवाकै राज मुल्क पै कर जैगा,
  गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे...

२ अंगहीन की सेवा कर ले जो तन्नै बल की चाहना हो
  पर नारी तै बच कै रहणा जो तनै वंश चलाना हो
  विद्वानों  की सीख मानले जो विधा की चाहना हो
  गऊ के घी का हवन करया कर जो तनै मींह बरसाणा हो
  पाछै तै पछताना हो जै जद्द घड़ा पाप का भर जैगा
  गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे...

३ निंदा चुगली करै सुणै तै वो नर बोला गूंगा हो
  धन की चोरी करने आला निर्धन भूखा नंगा हो
  बिन दोषी कै दोष लावनिया सात जन्म भिखमंगा हो
  झूठी गवाही देने वाला कोढ़ी और कुढंगा हो
  तेरे तन का ढंग कुढंगा हो तड़प तड़प कै मर जैगा
  गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे...

४ खोटी आँख लखाने वाला काणा अँधा हो जैगा
  मांस मिटटी के खाने वाला कीड़ा गन्दा हो जैगा
  दुखिया नै सतावन वाला सांप परिंदा हो जैगा
  हरी की बंदगी करने वाला हर का बाँदा हो जैगा
  तेरा यो आपै धंधा हो जैगा जो गुरु साधु राम सिमर जैगा
  गीता ज्ञान सुण्या कर बन्दे...
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