(तर्ज़:- अम्बे तू है जगदम्बे काली)
पित्रों की महिमा भारी, कुल के जो है हितकारी,
हम सब उतारे थारी आरती, ओ दादा मिलकर उतारे थारी....
आप ही घर के रक्षक हो और आप ही दाता विधाता,
पुत्र और पौत्रों से आपका, जन्म जन्म का नाता,
ज्योत जगाके तुम्हारी, सेवा पुगाके सारी....
शवेत वस्त्र और शवेत ध्वजा, तुमको दादा भाए,
श्रद्धा सुमन पूजन वंदन, हम तर्पण करने आए,
कुल की करना रखवारी, चरणों में अर्ज़ गुज़ारी....
जब जब दुख संकट आवे तो, तुम ही बने सहाई,
दुःख विपदा में नाम आपका, सदा रहे सुखदाई,
दर्शन थारे मंगलकारी, जाउँ तुमपे बलिहारी....
अपने कुल पर नज़र मेहर की, सदा बनाए रखना,
प्रिंस जैन की विनती दादा, कृपा बनाए रखना,
सुन लीजै अर्ज़ हमारी, कोई ना रहे दुखारी....