चलो सारे चलो बालाजी के दरबार पे
दुःख कट जाते जहाँ सारे संसार के
चलो सारे चलो बाबाजी के दरबार पे
सारे जग से बालाजी के दर की शान निराली है
दुःख कलेश का नाम नहीं बस खुशहाली खुशहाली है
सड़के जाऊं वारे जाऊं बाबाजी के प्यार पे
चलो सारे चलो बालाजी के दरबार पे
सुन्दर छवि है बालाजी की द्वारा मन को भाता है
मनोकामना पूरी हो जाए जो भी चल के आता है
बाबाजी ना खाली मोड बिना किसी उपहार के
चलो सारे चलो बालाजी के दरबार पे
कर्मरूपाद बाला मेहंदीपुर में शीश झुकाता है
कमल किशोर कवी हर दम बाबा की महमिअ जाता है
जलवे सारे न्यारे भक्तों इस सच्ची सरकार के
चलो सारे चलो बालाजी के दरबार पे