भीलख भीलख के रोये शंकर गूंजे आकाश पताली,
नाच रही माँ काली माँ नाच रही माँ काली माँ
भीलख भीलख के रोये शंकर गूंजे आकाश पताली,
दन दानव को मार गिराई सारी सेना चबा कर खाई
भूख प्यास मिटी न माँ की गरजी जीब निकाली
नाच रही माँ काली माँ नाच रही माँ काली माँ
नाच हुए जब सारे दानव संत और महंत खाए मानव
पशु प्राणी डरकर भागे आरे कौन करे रखवाली
नाच रही माँ काली माँ नाच रही माँ काली माँ
शिव शम्भु ने विनती सुनी जब बालक रूप में रोने लगे जब
देख के माँ की ममता जागी केलशी दूत विराली
नाच रही माँ काली माँ नाच रही माँ काली माँ