ऐसी मोहन ने मुरली बजाई
सारी गोपी है सुन ने को आई,
ऐसी मधुर भजाई तूने मुरली की तान,
मैं तो जाती हु झूम जब सुनते है कान,
मैं खुद को रोक न पाई सारी गोपी है सुन ने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई
तेरी मुरली में जाने न क्या जादू है मेरे मन में न रहता काबू है,
ऐसा जादू घर है कन्हाई सारी गोपी है सुन ने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई
मोहन मुझको भी मुरली बना लीजिये अपने होठो पे मुझको सजा लीजिये,
सपने में भी देती सुनाई सारी गोपी है सुन ने को आई,
ऐसी मोहन ने मुरली बजाई