फोड़े क्यों मटकी मेरी तने सारी दही बखेरी,
आज यशोदा माँ से मैं करू शिकायत तेरी,
आती याती ने तू सतावे लाज शर्म तने कति न आवे,
गाले जा से घेरी मैं करू शिखायत तेरी,
फोड़े क्यों मटकी मेरी तने सारी दही बखेरी,
रोज का मेरा आना जाना छेडन का तने चाहिए बाहना,
जान मरण में मेरी मैं करू शिखायत तेरी,
फोड़े क्यों मटकी मेरी तने सारी दही बखेरी,
फौजी सुरेश लेखे जा तू जन
आ रहा से इक बाल आनंद कलम चले जा तेरी,
मैं करू शिखायत तेरी,
फोड़े क्यों मटकी मेरी तने सारी दही बखेरी,