वृन्दावन जाना ए जरूर वे माहिआ

लगदा नहीं जी मेरा घर बार सोहणेया वे
हो गयी हां मैं मजबूर वे माहिआ,
वृन्दावन जाना ए जरूर वे माहिआ

श्याम दे ख़यालां विच्च डूबी दिन रैन वे,
भूख प्यास मेरा खोया सुख चैन वे ।
मैनु ओहदा चड़ेया सरूर, वे माहिआ,
वृन्दावन जाना ए जरूर, वे माहिआ ॥

सस्स ननाण सारे ताने मेणे मारदे,
कर कर गल्लां मेरा तन मन साड़दे ।  
गल्लां बन गईआं ने नासूर, वे माहिआ ,
वृन्दावन जाना ए जरूर वे माहिआ ॥

चन्ना, तेरी मेरी यह नाशवान गति मति ए,
बांके बिहारी मेरा सच्चा प्राण पति ए ।
नाता साडा जग दस्तूर, वे माहिआ,
वृन्दावन जाना ए जरूर वे माहिआ ॥

गल्ल बनदी नहिओ प्यार बिना...
दिल लगदा नहीं दिलदार बिना...

आखां ‘‘मधुप’ मैनु टोक ना वे सोहणेया,
वृन्दावन जानो मैनु रोक ना वे सोहणेया ।
मैं ता हो गयी ओहदे रंग नूरो नूर, वे माहिआ
वृन्दावन जाना ए जरूर वे माहिआ ॥
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