भवानी तुम्हारी शरण आ गया हु
बिना भगती के हो गए करम काले
लगाने तुम्ही से लगन आ गया हु
जभी जन्म पाया तभी भव में डूबा मैंने करने को भव से तरन आ गया हु
भवानी तुम्हारी शरण आ गया हु
कई जन्म पाए कई जोनियो में
खत्म करने आवा गमन आ गया
भवानी तुम्हारी शरण आ गया हु
चरण चुमते उचे पर्वत तुम्हारे
मैं चढ़ के चडाई कठिन आ गया हु
भवानी तुम्हारी शरण आ गया हु