शिर्डी गाव में नीम के निचे बालक रूप में प्रगटे साईं
धरती मात पिता आकाश की गोद में इक दिन प्रगटे साईं
शिर्डी गाव में नीम के निचे बालक रूप में प्रगटे साईं
संतो की ना कोई जाती वर्ग न कोई संतो का
दया छमा शान्ति केवल धर्म यही है संतो का
कर्म यही है संतो का
दीं दयालु प्यार का सागर बन के मसिह्मा प्रगटे साईं
धरती मात पिता आकाश की गोद में इक दिन प्रगटे साईं
शिर्डी गाव में नीम के निचे बालक रूप में प्रगटे साईं
सब का मालिक एक जगत में बात साईं ने ये सम्जाई,
शरधा सबुरी रख ऐ बंदे साथ हु तेरे बोले साईं
बहार का है खोजे रे मोहे मुझको तू अपने भीतर पाए
धरती मात पिता आकाश की गोद में इक दिन प्रगटे साईं
शिर्डी गाव में नीम के निचे बालक रूप में प्रगटे साईं
अंतर मन का नाद तू सुन ले इश में तेरा ध्यान लगा ले
साध न पथ को तू अपना ले भक्ति की धुनी मन में रमा ले
कल को बुला ले आज में जी ले कल की न परवाह कर तू भाई
धरती मात पिता आकाश की गोद में इक दिन प्रगटे साईं
शिर्डी गाव में नीम के निचे बालक रूप में प्रगटे साईं