अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता

कोई काम दुनिया में शुरू ही न होता
अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता

गीता रामायण में समजा दिया है सभी धर्मो का इस में लिखा है
गुरु बरह्मा विष्णु गुरु शिव होता
अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता

प्रबु राम ने गूर की महिमा को जाना
तभी विश्वव् मित्र और वशित जी को माना
माने जो गुरु को उसे दुःख न होता
अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता

सीता को गुरु मिले सती अनुसइयां,
दियां ज्ञान भगती का कुटियाँ में मैया
पति की करो सेवा तो बड़ा सुख होता
अगर इस जहाँ में कोई गुरु ही ना होता

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