मैं तो गोविन्द गोविन्द गाऊगी
राणा जी थारे मेहल चोबारे छोड़ जही सब जाउंगी
मैं तो गोविन्द गोविन्द गाऊगी
वृन्दावन में जाके रहूगी
सुख दुःख अपने आपो सहु गी
प्रेम प्रीत के बाँध के घुंगरू नाच नाच बल खाऊ गी
मैं तो गोविन्द गोविन्द गाऊगी
गोरे तन पे भस्म लगा के
जोगन वाला भेष बना के
ब्रिज की रज मस्तक पर मल के
यमुना के बीच न्हाऊ गी
मैं तो गोविन्द गोविन्द गाऊगी
क्या करने तेरे हीरे मोती
मेरे मन मन्दिर में ज्योति
कान्हा में मेरे प्राण वसे है मन मोहन स्माउगी
मैं तो गोविन्द गोविन्द गाऊगी