मैं भूल गई री दादी

मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
थारे नाम की बुली चुन्दडी थारे मंगल पाठ मैं आती,
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती

छोटा छोटा टाबरियां मैं सागे खीच ले आई
करे दादी ज्योति दर्शन तो नैना ज्योत समाई
म्हारे अंगना सती है दादी मैं पालना झुलाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती

शिंगार की शोभा चमके दादी शीश पे छत्र लटके
माथे बिंदी सूर्ये मनी हर चुंदनी हीरा चमके
नाके नथनी लाल जड़ी है गल कर्ण फूल है दाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती

तेरी हरी भरी रहे भगियाँ माँ तेरे आँचल,
खुशियाँ रहे सदा सुहागन दादी तेरी सखी सहेली
जन मंगल पाठ की भावना हिरदे में ज्योति जगाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती

तू अधि माँ है शक्ति नव् दुर्गे संग है चलती
थारो धरती बनो देवरो माँ पूरण रक्शा तू करती
रख हाथ दया का सजन कं कं महिमा गाती
मैं भूल गई री दादी घर से माँ मैं आती
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