दादी के चरणों में गिरकर आसूँ मोती बन जाते,
हो जाते बेकार अगर ये कही और बह जाते,
दादी के चरणों में गिरकर आसूँ मोती बन जाते,
घुट कर अंदर अंदर जब दिल का दर्द उबलता है,
बाँध तोड़ कर पलको के आंसू का दरिया बेहता है,
बह जाते है आंसू पर इनको हल्का कर जाते,
दादी के चरणों में गिरकर आसूँ मोती बन जाते,
उसके आगे क्या रोना जो मोल न आंसू का जाने,
अंतर् मन की पीड़ा केवल अंतर यामी जाने,
बोल नहीं सकते जो हम कुछ वो आंसू कह जाते,
दादी के चरणों में गिरकर आसूँ मोती बन जाते,
ममता मई दादी माँ सु को देख पिगल जाती,
लाल के बहते आंसू में उसकी करुणा भी बह जाती,
माँ की गोद से जयदा बचे और कहा सुख पाते,
दादी के चरणों में गिरकर आसूँ मोती बन जाते,