ओ कान्हा तेरी बांसुरी काहा घूम हो गई
गोपियों से जरा तू पुच ले
आजा रे कन्हियाँ तोहे राधा बना दू
चोली गागरा मैं बांधना सिखा दू
ओह मुरली वाले तू तरसे और मैं मुस्काऊ
ओ कान्हा तेरी बांसुरी काहा घूम हो गई
ओ राधा मेरी कितनी हो भोली
इत बात से हो अनजानी
राधा कृष्ण है कृष्ण है राधा
युग युग के साथी हम दो प्रेमी
कृष्ण है सागर राधा है नदियाँ लीला है दोनों की अद्भुत निराली
ओ राधा मेरी बांसुरी काहा घूम हो गई गोपियों से जरा तू पुछ ले