सजा दो घर को कलियों से बृज में श्याम आए हैं

सजा दो घर को कलियों से बृज में श्याम आए हैं,
बृज में श्याम आए हैं, मेरे घनश्याम आए हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे घनश्याम आए हैं,
सजा दो घर को कलियों से.....

पखारो इनके चरणों को बहाकर प्रेम की गंगा,
निहारो इनके नैनो को जगी है प्रीत की आशा,
जगी है प्रीत की आशा जगी है प्रीत की आशा,
बिछा दो राह में पलकें मेरे घनश्याम आए हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे घनश्याम आए हैं,
सजा दो घर को कलियों से.....

तेरी एक झलक पाने को जगत सारा ही है पागल,
आएगा जग का रखवाला खुशी में दिल हुआ घायल,
खुशी में दिल हुआ घायल,
जलाओ दीप घर-घर में मेरे घनश्याम आए हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे घनश्याम आए हैं,
सजा दो घर को कलियों से.....

तेरी आहट से है वाफीक़ तेरे चेहरे की है दरकार,
बिना देखे ही कह देंगे लो आ गए हैं मेरे सरकार,
लो आ गए हे मेरे सरकार,
बहारो फूल बरसा दो मेरे घनश्याम आए हैं,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे घनश्याम आए हैं,
सजा दो घर को कलियों से.....

आस है सबके ही दिल में मेरे नंदलाल आएंगे,
हमारे मोह माया के यह बंधन को छोड़ आएंगे,
यह बंधन को छोड़ आएंगे,
हैं दासी शर्मा की आशा मेरे नंदलाल आएंगे,
लगे कुटिया भी दुल्हन सी मेरे घनश्याम आए हैं,
सजा दो घर को कलियों से.....
श्रेणी
download bhajan lyrics (435 downloads)