वृन्दावन सो वन नहीं,
नंदगांव सो गांव!
बंशीवट सो वट नहीं,
कृष्ण नाम सो नाम
राधा मेरी स्वामिनी,
मैं राधे को दास।
जनम जनम मोहे दीजियो,
श्री वृन्दावन को वास।
वृन्दावन के वृक्ष को,
मरम न जाने कोय।
डाल डाल और पात पे
श्री राधे राधे होय।।
राधा राधा कहत ही,
सब बाधा मिट जाय।
कोटी जनम की आपदा,
नाम लिये सों जाय,