जब मेरे संवारे से नैना लड़े हाय मैं तो लुट गई खड़े खड़े
लुट गई मैं तो खड़े खड़े
जब मेरे संवारे से नैना लड़े हाय मैं तो लुट गई खड़े खड़े
मोहनी मूरत मन को मोहे
मोर पंख सिर उपर सोहे
उपर से उस में हीरे जडे हाय मैं तो लुट गई खड़े खड़े
हाथ में मुरली कमर में पटका
लगा देख दिल को है झटका
बाल काले घुंगराले जचते बड़े
हाय मैं तो लुट गई खड़े खड़े
बात हकीकत कहे अनाडी भूल गई मैं सुध बुध सारी,
मेरी अक्ल पे पत्थर पड़े हाय मैं तो लुट गई खड़े खड़े