सोच ले ओ समझ प्राणी,
तेरी थोड़ी सी जिंदगानी,
जप ले श्यामा श्याम नाम,
तेरे बने बिगड़े काम,
नहीं तो छूट जाए राजधानी,
ये काया की हवेली यहीं पर रहेगी,
यह हवेली भी श्मशान में जा जलेगी,
यह माया तेरी तेरे संग ना चले गी,
रोएंगे यह सारे जब डोली सजेगी,
तेरे जीवन की बीती कहानी-२,
सोच ले ओ समझ प्राणी....
नाम रह जाएगा तेरा संसार में,
नाम भुला तो डूबेगा मझधार में,
क्यों तू करता है अधर्म ये बेकार में,
बस तेरा है ठिकाना प्रभु के द्वार में,
नाम की बस रहेगी निशानी-२,
सोच ले ओ समझ प्राणी.........
क्यों तू पागल हुआ भूला प्रभु नाम को,
अपने मन में बसा ले श्यामा श्याम को,
दूर जाना मती छोड़ नंद गांव को,
आस मन में लगा छोड़ सब काम को,
प्रीत कान्हा से तेरी पुरानी-२
सोच ले ओ समझ प्राणी......
सिंगर भरत कुमार दबथरा