तेरी बंदगी में बीते ये जिन्दगी हमारी
अब मैं भटक न जाऊ करना दया मुरारी
दुनिया की ठोकरों ने मुझको बड़ा रुलाया
कितने ही यत्न करके दरबार तेरा पाया,
दरबार का मुझको रखना सदा भिखारी,
तेरी बंदगी में बीते ये जिन्दगी हमारी
टूटी पड़ी थी नईया कोई न था सहारा
पतवार आके थामे मिलने लगा किनारा
अब है तेरे हवाले जीवन की डोर माहरी,
तेरी बंदगी में बीते ये जिन्दगी हमारी
हे मोरवी के प्यारे जीवन तेरे हवाले
अब डूब जाए नइया या पार तू उतारे ,
ना जाए छोड़ कर रसिक चरणों को हे मुरारी
तेरी बंदगी में बीते ये जिन्दगी हमारी