मेरे मन वस् गए गोपाल मैं उनकी री जोगनिया,
मैं उनकी री जोगनिया,मैं उनकी री जोगनिया,
मोहे भावे न ससुराल
मैं उनकी री जोगनिया,
मुख शामल बड़ा सलोना जैसे हो कोई खिलौना
काले घुंगराले बाल मैं उनकी री जोगनिया,
उनकी मुरली अधर सुहावे जो प्रेम का रस बरसावे,
दो नैना बड़े विशाल मैं उनकी री जोगनिया,
मेरे मन में वसी छवि प्यारी
सुन लो जी सास हमारी
कैसे मन से दू मैं निकाल,
मैं उनकी री जोगनिया,
मैं तो उनके रंग रंगु गी मोहन का नाम जपुगी
मेरे स्वामी है नन्द लाल मैं उनकी री जोगनिया,