मेरा क्या है कसूर तू बता संवारे मुझे अपने से क्यों किया दूर संवारे,
नरसी का तूने भात भरा संवारे मेरी बारी क्यों नजरे चुराने लगा
जो बदी की बचाई तूने लाज थी फर्क अपने बेगाने का होना लगा
दिख गया मुझको तुझमे फर्क संवारे
मुझे अपने से क्यों किया दूर संवारे,
महाभारत में कैसा करिश्मा किया
बन के सारथि तू रथ को चलाता गया
तेरा चकर ही सब को घुमाता रहा
बाल बांका न अर्जुन का होने दिया
थाम ली तूने हर इक डगर संवारे,
मुझे अपने से क्यों किया दूर संवारे,
साथ देना तेरा बस यही काम था तुने अपने को आगे न आने दियां
सिर कटे जो कभी सिर जुकते नही योदा तूने कोई भी न डट ने दियां
फिर क्यों तडपे तेरा चेहल संवारे
मुझे अपने से क्यों किया दूर संवारे,