जो भी दीवाना है साईं का

जो भी दीवाना है साईं का
गुंगो से अगर पूछो लिख कर वो बता देंगे,
शिर्डी का रस्ता तो अंधे भी बता देंगे

जो भी दीवाना है साईं का
हमने नजर से देखा है मस्ताना साईं का
लिखता है अपने खून से अफसाना साईं का
पल भर में मोड़ देता है तूफ़ान के रुख के,
चटान तोड़ देता है दीवाना साईं का
जो भी दीवाना है साईं का

अपनी अना का सोदा नही करता है फ़कीर,
अपना जमीर बेच के बनता नही अमीर
दुनिया के गमो का कभी होता नही अजीर,
आजाद सदा रहता है दीवाना साईं का
जो भी दीवाना है साईं का

दुनिया में जिन्दगी को गुजारे गा शान से
वो तो सदा रहेगा बड़ी आन बाण से,
देखा है मैंने साईं के दीवानों को जनाब
वो प्यार बहुत करते है सारे जहान से ,
जो भी दीवाना है साईं का

रस्ता कभी भी दोस्तों दुस्त्वार न होगा
सिर पे कभी दुखो का अम्बार न होगा
दीवाना जो भी साईं का बन जाएगा जनाब
उसको तो मानो दर से कभी प्यार न होगा
जो भी दीवाना है साईं का
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