अरे ओ अंजनी के लाला, मुझे तेरा एक सहारा ॥
अब अपनी शरण में ले ले, मैं बालक हुँ दुखियारा
माथे पर तिलक विशाला, कानों में सुंदर बाला
थारै गले राम की माला, ओ लाल लंगोटे वाला
थारा रूप जगत से न्यारा, लगता है सबको प्यारा
प्रभु सालासर के माँही, थारो मंदिर है अति भारी
नित दुर दुर से आवै, थारै दर्शन को नर नारी
जो ल्यावै घ्रत सिंदुरा, पा ज्यावै वो फल पुरा
सीता का हरण हुआ तो, श्री राम पे विपदा आई
तुम जा पहुंचे गढ़ लंका, माता की खबर लगाई
वानर मिल कर सब बोले, तेरे नाम की जय जय कारा
जब शक्ति बाण लगा तो, लक्ष्मण जी को मुर्छा आई
वानर सेना घबराई, तब रोये राम रघुराई
तुम लाय संजीवन दीन्हा, लक्ष्मणजी के प्राण उबारा
बीच भंवर के माँही, मेरी नाव हिलोरें खाती
नहीं होता तेरा सहारा, तो कब की डुब ये जाती
अब दे दो इसे किनारा, प्रभु बनकर खेवनहारा