बाज रहा डंका खाटू धाम का
चाहे घूम लो दुनिया सारी नही कोई बाबा श्याम सा
साल तीनसो पेहले बाबा आके याहा विराजे है
हार शरण में जो भी आता उसको गले लगाते है,
सब साथी बस नाम के जग में साथी ये काम का
चाहे घूम लो दुनिया सारी नही कोई बाबा श्याम सा
रंको को ये सेठ बनाये करता वारे न्यारे,
झुके शरण जो आके इनकी उसके काज सवारे,
ये तो भाव से रीजे नही कोई काम धाम का
चाहे घूम लो दुनिया सारी नही कोई बाबा श्याम सा
मिट जाती हर विपदा इस के दर पे शीश झुकाने से
होती पार भवर से नैया श्याम नाम गुण गाने से,
ये ध्यान सदा रखता अपने भगतो के मान का
चाहे घूम लो दुनिया सारी नही कोई बाबा श्याम सा
भटक रहा क्यों दर दर जाके खाटू में शीश झुका ले तू
जो चाहेगा मिलेगा तुझको श्याम से प्रीत लगा ले तू
पूरी करता सभी मुरादे नही खाली नाम का
चाहे घूम लो दुनिया सारी नही कोई बाबा श्याम सा