कान्हा जी मोहें, चाकर आप बना लो,
अब ना मोहें ठुकराओ प्रभु जी,
इक बार ह्रदय से लगा लो,
कान्हा जी मोहें, चाकर आप बना लो......
शरण आय हरि चरण पखारूँ,
ऐसो सेवा भाव जगा दो,
कान्हा जी मोहें, चाकर आप बना लो.....
थाट बजाऊँ तोहें खूब सजाऊँ,
मोसे मुकुट मोर लगवा लो,
कान्हा जी मोहें, चाकर आप बना लो.....
बन बन घूमूँ तोरी गाय चराउँ,
बस मुरली मधुर बजा दो,
कान्हा जी मोहें,चाकर आप बना लो.....
आठो याम श्री राधे राधे गाउँ,
मोहें भव से पार लगा दो,
कान्हा जी मोहें, चाकर आप बना लो....
आभार: ज्योति नारायण पाठक