बंसी वाले के चरणों में सर हो मेरा, फिर ना पूछो उस वक़्त क्या बात है।
उनके द्वारे पे डाला है जब से डेरा, फिर ना पूछो के कैसी मुलाक़ात है॥
यह ना चाहूँ के मुझ को खुदाई मिले, यह ना मुझ को बादशाही मिले।
ख़ाक दर की मिले यह मुकद्दर मेरा, इससे बढकर बताओ क्या सौगात है॥
हो गुलामी अगर आली दरबार की, यह खुदाई भी है बादशाही भी है।
दासी दर की भिखारिन बने जिस वक़्त, इससे बढकर बताओ की क्या बात है॥
गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो है।
श्री बांके बिहारी नंदलाल मेरो है॥