मैं तो नहीं हु काबिल तेरा प्यार कैसा पाउ,
बड़ी दूर मुझसे साहिल तेरे पास कैसे आउ,
मैं तो नहीं हु काबिल.....
साधन नहीं है कोई कोई नहीं सहारा,
तेरी करुणा की नजर से मुझको मिला द्वारा,
करुणा का बन के बादल बरसो तो मैं नहाउ,
मैं तो नहीं हु काबिल .......
अंधेरो में झुलस ता गिर गिर के खाई ठोकर,
कही मैं भटक न जाऊ थामो मुझको आकर,
हुआ बहुत हु मैं घायल आराम कैसे पाउ,
मैं तो नहीं हु काबिल ......
अपना नहीं कोई कोई नहीं सुहाता,
जिसका नहीं है कोई उसका तू ही है दाता,
गोपाल तेरी पागल पारस ये तेरा पागल कैसे कहु कहा,
मैं तो नहीं हु काबिल