चल माता के दरबार

चल माता के दरबार
हम उसे मनायेगे कुछ फूल चड़ायेगे
वो शिव पटरानी है वो वैष्णो रानी है
चल माता के दरबार ....

वो शेरोवाली है वो भोली भाली है
वो अपने बचो की करती रखवाली है,
डोली में बेठा कर हम उसको घर लायेगे
चल माता के दरबार ....

है जिसकी ज्योति से सारी दुनिया रोशन
अब तरस जीवन में जो बरसादे सावन
शरदा के फूलो में हम उसे झुलायेगे
चल माता के दरबार

सब उसको प्यारे है नैनो के तारे है
उनपर भी रहम करती जो जीवन हारे है
उन चरणों में बेहती गंगा में न्हायेगे
चल माता के दरबार
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